प्रतिभा हो अनाड़ी दिखना नहीं है
#दिनांक:-8/3/2025
#समय:-1/30दोपहर
#सजल
#शीर्षक:-प्रतिभा हो अनाड़ी दिखना नहीं है।
हे नारी!तुम्हें कभी टूटना नहीं है,
सशक्त बनो तुम्हें बिखरना नहीं है ।।1।
सावन कहाँ सदैव रहता भला,
पीड़ित बन गेसू झरना नहीं है ।।2।
बसंत जानकर चलो खुद को,
पर कभी पतझड़ बनना नहीं है ।।3।
फूल की उपमा से सुशोभित हो,
फिर कण्टक बन चुभना नहीं है ।।4।
शिव शक्ति बने तभी उपजी भक्ति,
झांसे में सूपर्णखा होना नहीं है ।।5।
स्नेह दया ममता मूरत माता हो ,
जलती ज्वाला धधकना नहीं है ।।6।
धर्म कर्म पोषक, विधि रचित श्रेष्ठ,
प्रतिभा हो अनाड़ी दिखना नहीं है ।।7।
(स्वरचित, मौलिक और सर्वाधिकार सुरक्षित है)
प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई
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