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तुम साधना हो

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#दिनांक:-24/10/2024 #शीर्षक:-तुम साधना हो। तुम ईश्वर की अनुपम संचेतना हो रचित ह्दय प्रेम की गूढ़ संवेदना हो क्या कहा जाए अद्भुत सौन्दर्य वाली तुम सृष्टि की साकार हुई साधना हो । घुँघराले केश, मृगनयनी, तेज मस्तक अंग सब सुअंग लगें यौवन दे दस्तक। ठुड्डी और कनपटी बीच चमके कपोल कवि सहज अनुभूति की तुम पालना हो । तुझसे जुड़कर कान की बाली इतराए अधर लाली लाल देख गुलाब शरमाए स्वर्गलोक से आई तुम हो सुन्दर परी धरा पर सौन्दर्य की प्रबल भावना हो । तुम्हारे मन से निकलता सुन्दर सुविचार , देश-परदेश तक पहुँचा आचार विचार । प्रेम जिसकी तुम होगी, वो होगा धन्य, मनहर स्वप्न की आलौकिक कल्पना हो । (स्वरचित) प्रतिभा पाण्डेय "प्रति" चेन्नई

सत्य राम कहॉं से लाऊँ?

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#दिनांक:-12/10/2024 #शीर्षक:-सत्य राम कहॉं से लाऊँ? दशानन रावण का अहम् हुंकार , विजय से पराजय जाता है हार, पर यह तो त्रेतायुग की कहानी,  कलयुग रावणों का ही है संसार । दुष्कर्म,विवाद,द्वेष,दम्भ,दिखावट, ढूँढती कहाँ हैं राम, कहाँ है केवट?  छल-कलह,दगेबाज,कपटी-व्यापार,  अन्याय,अत्याचार,अनादर, बनावट। प्रत्येक साल विजयादशमी है आती,  नई ऊर्जा जन-जनार्दन में है भरती,  नौ दिन आदिशक्ति देवी नवरात्र पर्व, रामलीला प्रदर्शन हर्षोल्लासित करती। प्रशंसा से पेपर के मुख्य पृष्ठ भरता,  असत्य जलाने का है स्वांग रचता। दुनिया का भोगी, जिस्म का लोभी, राम क्या, रावण भी नहीं है बनता ? दुराचारी रावण का अंत करने हेतु, सत्य सदाचारी राम कहाँ से लाऊँ? पग-पग पर भ्रष्टाचार सोने की लंका,  किस भक्त हनुमत पूँछ से कैसे जलाऊँ?  दशहरा में रावण जलाया जाता है, पर सच, क्या रावण जल जाता है ?? रावण जलाते, स्वयं दम्भी रावण, राक्षस,राम बनने का स्वांग रचाता है । (स्वरचित) प्रतिभा पाण्डेय "प्रति" चेन्नई

जन-जन के प्रेरक बापू नाम

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#गीत  #शीर्षक:- जन-जन प्रेरक बापू नाम। रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीता राम--2 अमर सदा गाँधी का नाम, जपते राम अहिंसा काम-2 रघुपति राघव-------- सत्य, धैर्य,प्रिय राम का नाम, व्यक्तित्व रहा चलता अविराम। सत्याग्रह आंदोलन ठान, आजाद कराया हिन्दुस्तान , जीवन रहा जेल के नाम , जन-जन प्रेरक बापू नाम। बापू जपते राम का नाम, जीवन पर्यन्त अहिंसा काम। रघुपति राघव------ मीठी मुस्कान बिना हथियार, अंग्रेजों पर घातक वार , मुश्किल सहना था हर वार, गया अहिंसा से सब हार। स्वतंत्रता संग्राम की, की अगुवाई, दुश्मन से अपनी लोहा मनवाई, सब कुछ किया देश के नाम, जीवन पर्यन्त अहिंसा काम। रघुपति राघव------2 रचना मौलिक, स्वरचित और सर्वाधिकार सुरक्षित है। प्रतिभा पाण्डेय "प्रति" चेन्नई