रोज इंतज़ार में जीता है
#दिनांक:-21/4/2024
#शीर्षक:-रोज इन्तजार में जीता है।
प्रेम प्रेम नहीं मॉगता,
खुशियों का पैगाम नहीं मॉगता।
ना रूलाना चाहता ना खुद रोना पसंद,
बात-बात पर परखना नहीं चाहता।
इंतजार करता है मौत के आखिरी दिन तक ,
इंतजार करता है प्रीति की हर रीति तक।
इंतजार करता है भविष्य के हर गीत तक,
इंतजार करता है मिलेगा जरूर मीत, मीत तक!!
जुडकर एक से फिर किसी से जुड़ता नहीं,
चल पडता प्रेम पथ पर कभी मुड़ता नहीं।
प्रेम की उम्मीद एक के सिवा और किसी से नहीं करता,
रोज इंतज़ार में जीता है तिल-तिल है रोज मरता।
सारी इच्छाओं पर नाम एक का लिखकर,
यादों में भी बस उसी के डूबा रहता।
आगे आयेगा प्रेम या नहीं इश्क की मर्जी,
पुरानी फाइल में लिख भूल गया है अर्जी।
अब बस कुछ समय के सहारे जीवन जीता,
सारी दुनिया का प्यार छलावा मात्र लगता फर्जी।
बेचैन गोद में सुकुन की नींद लेना चाहता,
पूछते सब पर किसी से ना कहना चाहता।
कोई दिकु प्रेमी.., कोई प्रेम प्रेमिका हैं बिरले,
भोर की शुरुआत प्रेम से रात प्रेम साथ सो जाता।
(स्वरचित)
प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई
#शीर्षक:-रोज इन्तजार में जीता है।
प्रेम प्रेम नहीं मॉगता,
खुशियों का पैगाम नहीं मॉगता।
ना रूलाना चाहता ना खुद रोना पसंद,
बात-बात पर परखना नहीं चाहता।
इंतजार करता है मौत के आखिरी दिन तक ,
इंतजार करता है प्रीति की हर रीति तक।
इंतजार करता है भविष्य के हर गीत तक,
इंतजार करता है मिलेगा जरूर मीत, मीत तक!!
जुडकर एक से फिर किसी से जुड़ता नहीं,
चल पडता प्रेम पथ पर कभी मुड़ता नहीं।
प्रेम की उम्मीद एक के सिवा और किसी से नहीं करता,
रोज इंतज़ार में जीता है तिल-तिल है रोज मरता।
सारी इच्छाओं पर नाम एक का लिखकर,
यादों में भी बस उसी के डूबा रहता।
आगे आयेगा प्रेम या नहीं इश्क की मर्जी,
पुरानी फाइल में लिख भूल गया है अर्जी।
अब बस कुछ समय के सहारे जीवन जीता,
सारी दुनिया का प्यार छलावा मात्र लगता फर्जी।
बेचैन गोद में सुकुन की नींद लेना चाहता,
पूछते सब पर किसी से ना कहना चाहता।
कोई दिकु प्रेमी.., कोई प्रेम प्रेमिका हैं बिरले,
भोर की शुरुआत प्रेम से रात प्रेम साथ सो जाता।
(स्वरचित)
प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई
बहुत बहुत सुंदर
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