देखो मधुकर को

#दिनांक:-27/4/2024
#शीर्षक:-देखो मधुकर को।

तुम बंजर ना बनो,
देखो प्रकृति को,
देखों नियति को,
देखो मधुकर को,
देखो रहबर को।

तुम बंजर ना बनो,
तुम समझदार बन जाओ,
तुम असरदार बन जाओ,
तुम कोई व्यापार नहीं,
बस व्यवस्थित किरदार बन जाओ।

तुम बंजर ना बनो,
मन की बातों को बताकर,
दिल का अगाध प्रेम दिखाकर,
अरमानों का विस्तार कराकर,
अनगिन प्रश्नों को सुलझाकर।

तुम बंजर ना बनो,
किस्मत की किस्मत बन जाओ,
दरिया का साहिल बन जाओ,
शोख हसीन फितरत बन जाओ,
प्रेम के मीठे गीत गुनगुनाओ।
तुम किसी मधुकर के लिए
उपजाऊ बन जाओ......।

(स्वरचित)
प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई

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