इश्क की लेखनी को चलाकर
#दिनांक:-21/3/2024
#शीर्षक:-इश्क की लेखनी को चलाकर।
भावों को आधार बताकर,
जन से जन का हाथ मिलाकर ,
मम् और अहम् का भेद बताकर,
अनेकों सद-विचार अपनाकर,
पीड़ित ह्दय पर कलम चलाकर,
साहित्य का ह्दय प्रेम बताकर ।
इश्क पर लेखनी चलाकर,
अनछुए पहलू को सजाकर ,
भावभंगिमा भुजंग सा लिपटाकर,
नर, नारी का अस्तित्व बताकर,
विश्वासी संदेश हर दिल तक पहुॅचाकर,
सामाजिक साम्राज्य साहित्य फैलाकर ,
निहित मात्र हितकर साहित्य संदेश प्रदानकर,
फैलाती संदेश सत्य धर्म सदाचार समाचार,
कविता कवित्त का सरोकार, आचार-विचार,
बदलती दुनिया के बदलाव का अस्तित्व भार,
जगाती अलख ज्योति कविता प्रेम पहचानकर।
साहित्य का संदेश रोचक आधारों का,
आदान-प्रदान करती विचारों का,
मन ममतामयी साहित्यकारों का,
देशभक्ति पूर्ण सनातन विचारों का,
पिरोती गायन, संयुक्त रागों का ,
नमन वंदनवार साहित्य के परिवारों का,
संज्ञा, समास, रस, छंद, अंलकारकारों का |
(स्वरचित)
प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई
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