बौराया फागुन मास
#दिनांक:-18/3/2024
#शीर्षक:- बौराया फागुन मास।
वृद्ध जवान सभी बौराये,
बौराया फागुन मास,
रंग से सराबोर हो चूनर,
मदभरी महकती साॅस।
मादकता होली की गवाह,
भीगे गोरा बदन पिचकारी फुहार से,
प्रकृति रंगीन हुई पुरवाई बयार से।
दुल्हन का मन डोल रहा,
चातक मन में रंग घोल रहा।
चाँद-सितारों की चमक और गहराई ,
सतरंग रंगों ने ब्रज में धूम मचाई।
देवर का मजाक भौजी की तनहाई,
लिखकर प्यार पिया को फिर-फिर रही बुलाई।
तैयार हो तैयारी की शुरूआत करले,
कामधेनु को लगाओ रंग सबसे पहले।
बारी-बगीचा की हो रही सफाई,
गेहूँ की भी हो रही कटाई लवाई।
है दहन की तैयारी जोर शोर पर,
अच्छाई बैठा बीच बुराई ओर पर।
रंग भरी रंगीन होली धूम मचाई,
सररर नाचें गोपियां राधा संग कन्हाई ।
(स्वरचित)
प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई
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