अनैतिकता से कौन बचाए
#दिनांक:-22/3/2024#शीर्षक:-अनैतिकता से कौन बचाये।
भटकते हम रास्ते,
रास्ता सही कौन दिखाए?
कब हम गलत कब सही ,
आंकलन कर कौन बताए?
हर काम के बदले,
कुछ चाहिए होता है ,
शामिल स्वार्थ हर रग में,
उम्र भर उम्मीद खाये होता है।
ल को द कौन सिखाए ,
हरिश्चंद्र घर-घर कौन लाए?
चिलचिलाती धूप की चुभन ,
बेवक्त वक्त का आंकलन ।
धुन्ध से ढ़कता चमकता चमन,
दिखावट के अंध से अंधकार गगन।
मेहनत की गठरी कौन ढोहे,
सही को सही कौन बताए।
कलयुग घनघोर असरदार,
भाई-भाई को रहा मार!
बाहुबलियों का गर्जन सच का तिरस्कार,
घूम रहा हवसी करता बलात्कार।
अनैतिकता से कौन बचाए,
झूठ के प्रति आवाज कौन उठाए ।
(स्वरचित, मौलिक)
प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई
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