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जड़ खोद डालेंगे

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#दिनांक:-11/5/2025 #समय:-10/45सुबह #गीत #शीर्षक:- जड़ खोद डालेंगे। अब तेरे खत का जवाब नहीं दे पाऊँगा माँ, जा रहा हूँ, अब शायद ही लौट पाऊँगा माँ, नहीं होता, हर किसी के सौभाग्य में लड़ना, देश की आन-बान- शान बचाऊँगा माँ |टेक युद्ध शुरू, चलो दुश्मन को धूल चटाते हैं,  मन में हुंकार भर, भारतीय शेर गुर्राते हैं।  इस अंधड़ में स्वयं के साहस को तोलो, जहन्नुम की राह हम,शत्रु को दिखलाते हैं,  मैं हिन्दुस्तानी,दुष्ट को पौरुष दिखाऊंगा माँ। अब तेरे खत का जवाब नहीं दे पाऊँगा माँ, जा रहा हूँ, अब शायद ही लौट पाऊँगा माँ।।1। तूफानों को ही मिलते हैं, तूफानी हालात, तूफ़ानों की ओर घुमा दो नाविक पतवार,  माँ आज जड़ ही खोद डालेंगे दुश्मनों का, आजीवन आँचल का ना छोड़ेंगे मझधार।  तेरा चरण चूम कर सुजीत कहलाऊंगा माँ।  अब तेरे खत का जवाब नहीं दे पाऊँगा माँ, जा रहा हूँ, अब शायद ही लौट पाऊँगा माँ।।2। रचना मौलिक, स्वरचित और सर्वाधिक सुरक्षित है| प्रतिभा पाण्डेय "प्रति" चेन्नई

सिन्दूर सौन्दर्य है

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#दिनांक:-7/5/2025 #विधा:-अगीत। #शीर्षक:-सिन्दूर सौन्दर्य है । दिन आज फिर से याद तुम करो,  तेरहवीं की चल रही है अब तैयारी।  सेना ने मार गिराये है चुन-चुन कर, जिसने की मानवता के साथ गद्दारी ।। सुखद स्वप्न में खोए आतंकवाद, प्रगति को नुकसान पहुँचाने वाले। हो गया रे नामोनिशान खत्म तेरा, साम्प्रदायिक दंगे भड़काने वाले ।। पच्चीस भारतीय एक नेपाली मारकर, किए थे राम-सनातन पर चोट गहरा।  एजेंसियों से कराई आतंकी पहचान, शौर्य दिखाए वीर नौ ठिकाना कहरा।।  सिन्दूर आपरेशन बना चल पड़े वीर,  रजनी की चीत्कार चला गोली-बारूद।  नृशंसता की हद पार कर की जो बर्बरता, दुश्मन को याद कराए सिन्दूर का वजूद।। सुन लो सभी जो भी हमसे टकराएगा, वो जरुर एक दिन चूर-चूर हो जाएगा । बहन, बेटी को रुलाने वाले सुन लो,  सिन्दूर रंग नहीं सौन्दर्य है, रण चिन्ह भी,    इसलिए नेस्तनाबूत कर दिया जाएगा।। (स्वरचित, मौलिक और सर्वाधिकार सुरक्षित है) प्रतिभा पाण्डेय "प्रति" चेन्नई