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सबके संग रम जाते कृष्ण

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#छंदमुक्त कविता #दिनांक:-26/8/2024 #शीर्षक:- सबके संग रम जाते कृष्ण। अँखियन मिचत रोवत आवे कृष्ण,  नटखट कान्हा खूब ही भावे कृष्ण । माँ पुकार से जियरा हरसाये कृष्ण, घुटुरन बकैया-बकैया मनभावे कृष्ण ।। माटी मुँह, रज चंदन देह में लपेटे कृष्ण, क्रीड़ा करत मित्र ब्रज वीर समेटे कृष्ण । मुग्ध गोपियन, मुग्ध मैया, बाबा है कृष्ण, पशु-पक्षी मुग्ध हो हरि से लिपटे कृष्ण ।। मामा कंस को बहुत खिझाते कृष्ण, राधा गोपियों को बहुत रिझाते कृष्ण । कालीनाग को सबक सिखाते कृष्ण, नटखट है, भोले कुमार दिखाते कृष्ण ।। लक्ष्मी स्वामी नाना भेष बनाते कृष्ण, पशु पक्षी सबके संग रम जाते कृष्ण । गोपाल स्वरुप मन को लुभाते कृष्ण, विपदा में सर्वप्रथम याद आते है कृष्ण ।। धन्य यमुना किनारे रास रचाते कृष्ण,  गोप, गोपिका को प्रेम में फँसाते कृष्ण । बावरी राधा के विश्वास को भाते कृष्ण, गेह-गेह चोरी कर मक्खन है खाते कृष्ण ।। गोकुल गलियों में चरण की थाप कृष्ण, जन-जन में प्रेम सौहार्द के छाप कृष्ण । ब्रह्मांड के देवि देवता करते पान कृष्ण, प्रतिभा पुकारे आठो याम कृष्ण-कृष्ण ।। (स्वरचित) प्रतिभा पाण्डेय "प्रति" चेन्नई ...

क्या तुम कभी?

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#विधा:- अतुकांत  #दिनांक:-21/8/2024 #शीर्षक:-क्या तुम कभी? हाँ, तुम मुझे जानते हो...,   पर अगर प्रश्न करूँ,   कितना जानते हो...?   तुम अनमने से हो जाते हो,   बहुत सोचते हो, पर जवाब क्या है?   कुछ आदतों को बताते हो,   पर स्त्रीत्व को नहीं समझ पाते हो।   एकांत क्या है, यह स्त्री से पूछो।   आदतों और व्यवहार से ऊपर,   स्त्री को जानने की कोशिश करना,   रसोई से लेकर हमबिस्तर तक,   सब जाने-पहचाने हैं,   पर क्या यही स्त्री का सम्पूर्ण स्थान है?   कहाँ घर है और कहाँ बसाया जाना है?   अनादिकाल से तलाशती अपनी पहचान,   पूछती मायके से और पूछती पति परमेश्वर से,   पर जवाब कहाँ है?   कई गुप्त बातें गुप्त तरीके से दफन हो जाती हैं,   प्रेम अच्छाई ही ससुराल का कफन बन जाती है।   स्वयं के दुःख-दस्तावेज पर स्वयं हस्ताक्षर करती,   स्वयं की लड़ाई खुद ही कुरुक्षेत्र में  लड़ती।   सपनों का पीछा करत...

आवाज मन की

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नमन मंच #दैनिक प्रतियोगिता #दिनांक:-17/8/2024 #शीर्षक:-आवाज मन की ताना-बाना दिमाग का मन से, छुआ-छूत जाति-धर्म मन से । मिटाते भूख नजर पट्टी बांध-, बाद नहाते तृप्त हो तन से। क्या गजब खेल मन का भईया , दुश्मन भी कुछ पल का सईया। उद्घाटित उद्वेलित उन्नत उन्नाव -, उद्विग्न हो नियम की मरोड़ता कलईया। फिर दलित सवर्ण हो जाते समान, हवस मिटा करते भी हैं बदनाम । धर्म कहाँ गुम हो जाता उस क्षण-, बर्बाद कर जिन्दगी बनते महान। आदिकाल से ऐसा होता आ रहा, मजबूर माँ-बाप रोता रह जा रहा। आखिर कब ये सिलसिला रुकेगा , मामला दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा। कौन सा अब कानून बनाया जाए, बलात्कार पर अंकुश लगाया जाए। मन की तृप्ति सम्भव जान पड़ती, तन की अतृप्ति रोज सुनामी लाए। आवाज मन की है उद्गार कौन करे, तड़प मन की है भाव कौन पढ़े , अपनी खिचड़ी में परेशान दुनिया, सुरक्षित सुरक्षा कवच कौन गढ़े । (स्वरचित, मौलिक, सर्वाधिकार सुरक्षित है) प्रतिभा पाण्डेय "प्रति" चेन्नई

आओ गुणगान देश का गाएं

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#विधा:- देशभक्तिगीत #दिनांक:-15/8/2024 #शीर्षक:-आओ गुणगान देश का गाए।  आओ गुणगान देश का गाएं,  गगनचुम्बी तिरंगा फहराएं ।टेक। सदा सत्य को बतलाने वाला, शौर्य पराक्रम निभाने वाला,  जज्बात वीरों में भरने वाला,  भारतीयता हमें दिलाने वाला।  साक्षी वीरगाथा सुनाने वाला,  स्वतंत्रता पर विजय गीत सुनाएं। आओ गुणगान देश का गाएं। गगनचुम्बी तिरंगा फहराएं ।1। कोई जनरल शहीद कोई भगत, कोई बना सुभाष कोई वल्लभ।  कोई बने गांधी, कोई लक्ष्मीबाई,  प्रत्यक्ष कारगिल दिखाते लडाई।  वेदांत नियम का पढ़ाते पढ़ाई,  विनयशील उदार जीवन बनाएं।  आओ गुणगान देश का गाएं।  गगनचुम्बी तिरंगा फहराएं ।।2। लाल किले पर फहर रहा तिरंगा,  शिक्षा विजय की दे रहा तिरंगा।  धर्मचक्र प्रतीक अशोकचक्र तिरंगा,  सभी को एक धागे में पिरोये तिरंगा।  हम सबकी आन-बान-शान तिरंगा,  शक्ति शान्ति सत्य धरा पवित्रता बनाए,  तीन रंग तिरंगा हमें आदर्शवाद बताए । आओ गुणगान देश का गाएं। आओ गगनचुम्बी तिरंगा फहराएं ।।3। (स्वरचित) प्रतिभा पाण्डेय "प्रति" चेन्नई

आजादी का जश्न मनायें

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#देशभक्तिगीत #दिनांक:-13/8/2024 #शीर्षक:-आजादी का जश्न मनायें। देश-भक्ति गुणगान सुनायें, आजादी का जश्न मनायें। गाथा वीरों की हम गायें, शौर्य पुत्र को सुमन चढायें। मिट्टी सोना यहॉ उगलती, वीर-प्रसूता धरा मचलती, गगन चूमता यहॉ तिरंगा, जगत तारिणी बहतीं गंगा। झूम-झूम सब नाचें-गायें, देश-प्रेम के गीत सुनायें। देश भक्ति गुणगान सुनायें। आजादी का जश्न मनायें ।1। हिमगिरि करता है रखवाली, पुष्प सुगन्धित रुत मतवाली। नाग लिपटता महके चंदन, नागपंचमी  नाग का वंदन । स्वर्ग यहीं है हम बस जायें, समरसता के दीप जलायें। देश भक्ति गुणगान सुनायें। आजादी का जश्न मनायें ।2। भारत देश  जगत में न्यारा, वसुधैव कुटुंबकम् भाव हमारा ओज भरी वीरों की गाथा, वैरीजन का कुचले माथा। विजयी विश्व तिरंगा गायें। ध्वजा सनातन की फहरायें  देशभक्ति गुणगान सुनायें। आजादी का जश्न मनायें ।3। (स्वरचित) प्रतिभा पाण्डेय "प्रति" चेन्नई 8081213167

देख तिरंगा मन डोला

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#दिनांक:-12/8/2024 #विधा:- देशभक्ति गीत #शीर्षक:-देख तिरंगा मन डोला। है दीवानों का ये टोला, केसरिया भक्ति का चोला। पल-पल जीवन मॉ को अर्पित, भरत-भूमि का रंग घोला। प्रकृति की मधुरिम छाया, देश भक्ति मन को भाया तेरा स्नेह अपार चाहिए सुखद भारती तेरा साया। हर एक दिशा में गूँजे नमः शिवाय भोला है दीवानों का ये टोला केसरिया भक्ति का चोला।।1। शौर्य गाथा गा रहा है तिरंगा फहरा रहा है बालमन में गीत गूंजे चन्द्र शेखर भा रहा है देश के काम आये तन मन बनकर शोला है दीवानों का ये टोला केसरिया भक्ति का चोला।।2। धन्य देश के वीर-जवान , हों शहीद करते अभिमान। सीमा पर खूनों की होली, अपना हिन्दुस्तान  महान । सरहद पर शीश कटा देते, देख तिरंगा मन डोला। है दीवानो का ये टोला, केसरिया भक्ति का चोला।।3। कविता कहानी और गीत में तू ही तू बसा मन प्रीत में । मारुत और रंगीन मयंक भारतीय संस्कार रीत में । करते है रसास्वादन विश्व ने रस घोला है दीवानो का ये टोला, केसरिया भक्ति का चोला।।4। है दीवानों का ये टोला, केसरिया भक्ति का चोला। पल-पल जीवन मॉ को अर्पित, भरत-भूमि का रंग घोला। (स्वरचित) प्रतिभा पाण्डेय "प्रति" चेन्न...

देशभक्ति

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#दिनांक:-10/8/2024 '#शीर्षक:- देशभक्ति' हमारा तन-मन मिट्टी का गुणगान करता है  यही वह भूमि जिस पर अभिमान करता है  जहाँ  का हर बच्चा देश की सेवा करता हैं  मॉ भारती के आँचल की रक्षा करता हैं  कभी भी हम भारतीय डरते नहीं मौत से   सिहर जाते दुश्मन सारे हमारे खौफ से    तीन रंगीन कपडा नहीं ये हमारी शान है लहराता हुआ तिरंगा हमारा स्वाभिमान है नदियाँ, सागर, हिमालय हिन्द की जान है  गगन चूमता रंगों से रंगा अपना हिन्दुस्तान है   मेरा तुम्हारा सबका जीवन सफल हो जाए  देश पर मिट कर तिरंगे का कफन पा जाए  जीवन की ख़ुशनसीबी है  देश के काम आना  जनता को चैन की सांस दे, वतन पर मिट जाना शत-शत वंदन वीर तकदीर में ये मुकाम आया ख़ुशनसीब हुआ रक्त जो देश के काम आया । (स्वरचित) प्रतिभा पाण्डेय "प्रति" चेन्नई

बस तेरा ही बसेरा

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#दिनांक:-5/8/2024 #शीर्षक :- बस तेरा ही बसेरा। क्यूँ मांगते हो दिया हुआ अपना, एक हसीन और जीवंत है वो सपना! जिसे पाकर सांस लेती हूँ, सांस के साथ आस करती हूँ । जब रात में नींद गायब आँखों से, तब याद करती मुस्कुराती बातों से। भिगो जाती प्रेम का अमृत रस, सुकून दिलाती तेरा वजूद बस । डूबूॅ और डूबना और डूबते जाना, अतल गहराई में पहुंच जाना। एकटक तेरा यूँ देखना मुझको, बिन बोले सब कहना मुझसे। मीठे प्रेम का रसास्वादन लेती, सुनहरा जीवन व्यतीत करती । सुबह शाम वक्त खोई-खोई, गम तनहाई सब सोई-सोई। खूबसूरत एकाएक स्वयं लगी, मिलन उत्कंठा में श्रृंगार सजी। कपोल अत्याधिक चमकने लगा, चंचल चितवन और दमकने लगा! आह................. और क्या कहूँ बस कहती रहूँ, प्रेम कविता में समर्पण करूँ। प्रेम-पाश में रोज रजनी सुलाये, बाँहों में समेट प्रेम संगीत सुनाये। रुक जाए रजनी न हो कभी सबेरा, मेरे ह्दय में, बस तेरा ही बसेरा । उगी समतल पर विश्वास की घास, पर न भाया तुम्हें शायद मेरा साथ........। (स्वरचित) प्रतिभा पाण्डेय "प्रति" चेन्नई 8081213167

इंसानियत खो गई

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#दिनांक:-6/8/2024 #शीर्षक:-इन्सानियत खो गई बिछुड़न की रीति में स्वयं को पहचाना  भीडतंत्र में बहुत प्रतिभावान हूँ जाना ।।1। नयन कोर बहते रहे शायद कभी सूखे  राधा का चोला उतार पार्वती सरीखे ।।2। तुम गए ठीक से, पर सबकुछ ठीक क्यूँ नहीं गई इरादे वादे सारे तेरे गए पर याद क्यूँ नहीं गई।।3 सुन्दर सुनीत सुशील सुशोभित सुकोमल  नीरज से नफरत अँकुडी प्रेम उन्नत दो दल ।।4। पहनकर चैन, कोशिश सुकुन को भूलने की  प्रेम से बगावत, झूठी वजूद झूला झूलने की ।।5। इंसानियत खो गई बन गए इंसान लाचार  अनुभवहीन की पाठशाला पढ़ते व्यवहार ।।6। दिखावटपन का बोलबाला बोली में शामिल इश्क मशहूर किए करके शेरो-शायरी गालिब ।।7। ब्रह्मांड से चाँद भला क्यूँ कर कोई ला सकता  अधर मुस्कान ही पूरे विश्व में जगमगा सकता ।।8। कभी किनारे बैठ समन्दर का विलाप सुनने  जल गाता है विरह गीत किसी नए राग धुन मे ।।9। चोटें मिलीं इतनी, वर्ना प्रेमी बन आहे भरते थे पूरातन में पत्थर भी कभी मिट्ठी हुआ करते थे ।।10 । (स्वरचित) प्रतिभा पाण्डेय "प्रति" चेन्नई

मोहन-सी प्रीति

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#दिनांक:-2/8/2024 #शीर्षक:-मोहन सी प्रीति। मन का भोलापन कैसे बताए, कभी खिला-खिला कभी मुरझाए। कहता नहीं फिर भी कहना चाहे, बिन जाने सुने तर्कसंगत बन जाए। गम का छांव लिपटस सा लिपट ले, तो अनमना मन कभी रूदन को चुन ले। संघर्ष से डरता नहीं फिर भी अग्रसर नहीं, तूफानो से भिड़ता पर विचार करता नहीं । कभी खुशी में झूम-झूमकर इतराए, नाचे गाये उत्साहित हो जोश जगाए । मन भी कमाल का व्यक्तित्व रखता है, कभी सलाह देता कभी सहयोग चाहता है। चीखकर अवचेतन सा गुमसुम गम्भीर, कभी चित्त चितवन भजन-कीर्तन धीर।। मन खुश तो जीवन सुखद महसूस, मन अशांत जीवन दुखीराम मनहूस। मन को सदा प्रभावित प्रसन्न रखिए, जीवन सफल, धड़कन में प्रेम रखिए । प्रतिदिन अर्चन और करो ऊँ जाप, मोहन सी प्रीति हो कट जाए ताप । (स्वरचित) प्रतिभा पाण्डेय "प्रति" चेन्नई