सब धरा का धरा रह जायेगा
#दिनांक:-28/5/2024 #शीर्षक:-सब धरा का धरा रह जायेगा किस बात का घमंड है बन्दे, जो सीरत से ज़्यादा सूरत पे इतराता है, ये सिर्फ आकर्षण जवानी का है, जो भूले की तरह शाम को घर आता है। आज है शरीर सुंदरता पूरित, कल मिट्टी में मिल जाएगा, घमंड करके क्या पायेगा बंदे, सब धरा का धरा रह जाएगा । मोह न कर सुन्दर गोरा तन छलावा है, जीवन क्षणभंगुर सिर्फ एक माया है, सबके लिए प्रेम और खुला दिल रख, इंसान की सच्चाई ही असली काया है । न करना घमंड न दिखा सुन्दरता, सब्र का बांध पगड़ी ले नाम राम का। सहयोग कर कमाओगे पुण्य जितना, बिन गए तीर्थ सुफल होगा चारों धाम का । करो प्रेम सबके आन्तरिक सुंदरता से, जो नहीं ढलती कभी उम्र के ढलान से, शेष सच्चा प्रेम और दरियादिली के किस्से, जब कंधों पे चढ़ के जाओगे घाट पे। (स्वरचित) प्रतिभा पाण्डेय "प्रति" चेन्नई